Monday, August 17, 2009

लाडली


लाड़ों से पली कलिओं सी खिली
होती
है ऐसी सबकी लाडली
माँ
की दुलारी, मैय्या की प्यारी
पापा
की आँख का तारा लाडली
चूडियों
की खनक से सबको मुस्कान दे जाती है
पायल
की झनक से आँगन महकाती है लाडली
आता
है जब विदाई का समय
आंखों
में आँसू लिए सबको खला जाती है लाडली
परायों
को अपना कर हर रिश्ता निभाती है लाडली
इतनी
कुर्बानियों के बाद भी
क्यों
जला दी जाती है लाडली
इतनी
मासूमियत के बाद भीक्यों छीन लिया जाता है उसका आँचल?
क्यों
मार दी जाती है उसकी आत्मा?
क्या
है कोई जवाब इसका की क्यों
अब
भी वो दरिन्दे फिरते हैं सड़कों पर खली
और
कहाँ खो जाती है हमारी वो लाडली

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