Samvednayein
Friday, October 3, 2014
वक़्त की गुल्लक
काश ऐसा होता कि वक़्त मेरे काबू में होता
तो
हर
दिन
से
कुछ
पल
निकाल
कर
गुल्लक
में
कैद
कर
लेती
उसी
तरह
बचत
कर
लेती
जिस
तरह
पापा
ने
सिखाया
था
ताकि
जब
तुम
महीनों
बाद
आते
तो
वो
पल
उन
चंद
घंटो
में
जोड़
देती
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