चले थे किसी अँधेरे रास्ते में हम रौशनी करने
अपने अरमानों ख़्वाहिशों को हक़ीक़त बनाने
एक रेत के महल को हमने अपना घर बनाया था
पर कहीं से वो गुम हुई हवा का झोंका आया
मेरे महल को धराशायी कर गया
हर उस अरमान उस ख़्वाहिश को अपने साथ ले गया
उस रौशनी की लौ को भुझा गया
ना जाने ये उसकी दोस्ती थी या दुश्मनी
जो हर उस सुहाने पल को अपने साथ ले गयी
और एक चुभती हुई सी याद छोड़ गई
एक ख़लिश है मन में अभी
पता नहीं कब इस दर्द का इलाज मिलेगा
पर अभी मन की तमन्ना है कि बह चलूँ इस हवा के संग
उस ग़म को भुलाना इतना भी आसां नहीं
पर दुनिया की ज़ंजीरों में उलझी हुई हूँ मैं
अपने इस ग़म को अपनी हँसी के पीछे छुपा रही हूँ मैं
अपने अरमानों ख़्वाहिशों को हक़ीक़त बनाने
एक रेत के महल को हमने अपना घर बनाया था
पर कहीं से वो गुम हुई हवा का झोंका आया
मेरे महल को धराशायी कर गया
हर उस अरमान उस ख़्वाहिश को अपने साथ ले गया
उस रौशनी की लौ को भुझा गया
ना जाने ये उसकी दोस्ती थी या दुश्मनी
जो हर उस सुहाने पल को अपने साथ ले गयी
और एक चुभती हुई सी याद छोड़ गई
एक ख़लिश है मन में अभी
पता नहीं कब इस दर्द का इलाज मिलेगा
पर अभी मन की तमन्ना है कि बह चलूँ इस हवा के संग
उस ग़म को भुलाना इतना भी आसां नहीं
पर दुनिया की ज़ंजीरों में उलझी हुई हूँ मैं
अपने इस ग़म को अपनी हँसी के पीछे छुपा रही हूँ मैं
nice poem...i have 1 suggestion for u..
ReplyDeletechange ur theme(color) of blog ...in white in black after few minutes it becomes harsh to the eyes..
@ Ankit
ReplyDeletethanku for your comment and suggestion
but i am unable to recognize u